तरबूज की खेती 2023 Earn 2 Lakh Acre From Watermelon Farming

जैसा की हम सभी जानते हैं तरबूज गर्मियों में खाये जाने वाला एक पसंदीदा फल है। ये बाहर से दिखने में जितना आकर्षक होता है उससे कहीं ज्यादा अपने अंदर के गहरे लाल रंग की वजह से ये सब का मन मोह लेता है तरबूज एक विश्वविख्यात फल हैं, तरबूज की खेती लगभग पुरे विश्व भर में की जाती हैभारत तरबूज के उत्पादन में एक अग्रणी देश है। तरबूज की डिमांड पहले कुछ वर्षों की अपेक्षा अब ज्यादा देखने को मिलती है। यही नहीं शहरों में यह फल अब पुरे साल देखने को मिलता हैं एवं शादी-पार्टी में फ्रूट सलाद के रूप में इसका उपयोग अत्यधिक रूप से किया जाने लगा है।
आइये अब हम जानते हैं तरबूज की खेती कैसे की जाती है।
तरबूज की खेती
तरबूज की खेती 2023 Watermelon Farming in Hindi

तरबूज की खेती (Watermelon Farming)

लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में तरबूज की खेती की जाती है, लाल मिट्टी, काली मिट्टी, दोमट मिट्टी, चिकनी दोमट मिट्टी, बलुई मिट्टी इत्यादि। लेकिन वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों का मानना है की अधिकतम उपज एवं पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है।
तरबूज की खेती के लिए मृदा का ph मान 5.5 से लेकर 7 तक होना चाहिए सिंचाई की उत्तम व्यवस्था एवं बारिश होने पर खेत में जलभराव नहीं होना चाहिए अगर जलभराव वाली भूमि हो तो उत्तम जलनिकास का प्रबंधन किया जाना चाहिए।
तरबूज की खेती के लिए आप जिस भूमि का चयन करते हैं उस भूमि में अगर घास हो तो पहले एक बार ट्रैक्ट्रर में रोटावेटर के सहायता से एक बार रोटावेटर चला देना चाहिए ,उसके बाद हैरो या कल्टीवेटर की सहायता से खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर देनी चाहिए , जुताई के बाद लगभग 4 ट्राली सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर से खेत में बिखेर देना चाहिए, यह कार्य पूरा होने के पश्चात् कम से कम 15 दिनों के लिए खेत में धुप लगने देना चाहिए।आप अगर चाहें तो अधिकतम 30 दिनों के लिए भी भूमि में धुप लगा सकते हैं।
बहुत से किसान जानकारी के आभाव में अथवा नए किसान एवं उद्यमियों को जो व्यावसायिक रूप से तरबूज की खेती कर रहें हैं, उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती है इस वजह से उनके खेतों में बैक्टीरियल विल्ट, फुसरियम वायरस एवं फंगस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक बार फंगस या वायरस आने के बाद उसे रोकने में विभिन्न प्रकार के कीटनाशकों एवं फफूंदीनाशक का उपयोग करना पड़ता है उससे पौधे की बढ़वार एवं पैदावार में असर देखने को मिलता हैं, इसलिए समय रहते जुताई की गयी भूमि को सूर्य के प्रकाश में रहने देना अति आवश्यक कार्य है।
जुताई की गयी भूमि में ट्रैक्ट्रर द्वारा रोटावेटर की सहायता से खेत को समतल कर लेना चाहिए, तत्पश्चात खेत में चुने का छिड़काव करना चाहिए अगर चुना उपलब्ध ना हो तो जिप्सम का प्रयोग करना चाहिए ,उसके बाद अपने खेत में उर्वरक का छिड़काव करना चाहिए  उर्वरक का छिड़काव अपनी मिट्टी की की उर्वरा शक्ति  के हिसाब से किया जाना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार प्रति एकड़ 50 kg डी-ए-पी 40 kg पोटाश 20 से 25 kg यूरिया एवं 5 kg माइक्रोन्यूट्रीअन्ट मिला कर पुरे खेत में छिड़काव कर देना चाहिए।अगर खेत में दीमक की समस्या हो तो 4 kg रीजेंट उर्वरकों के साथ मिला लेना चाहिए और खेत मैं बिखेर देना चाहिए।
उसके बाद रोटावेटर के द्वारा हलकी जुताई कर देनी चाहिए जिससे की आपने जितने भी उर्वरक डाले हैं वह खेत में अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाये। यह प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद बेड बना लेना चाहिए बेड का तात्पर्य उस ऊँची मेढ़ से है जिसपे हम तरबूज के बीजों की बुआई करेंगे। बेड आप बेड मेकर की सहायता से बना सकते हैं, अगर बेड मेकर उपलब्ध ना हो तो मजदूरों की सहायता से भी बना सकते हैं। एक बेड से दूसरे बेड की दुरी 5 से 6 फीट रखनी चाहिए बेड की चौड़ाई 2.5 फीट एवं ऊंचाई 1 फीट रखनी चाहिए।
पिछले सभी कार्य संपन्न कर लेने के बाद ड्रिप पाइप को बेड के ऊपर बिछा लेना चाहिए एवं दूसरी छोर पे ड्रिप पाइप को एक लकड़ी के टुकड़े के सहायता से हल्का टाइट कर के बांध देना चाहिए सभी पाइप को अच्छी तरह सेट करने के बाद पानी चला लेना चाहिए एवं अच्छी तरह जांच कर लेना चाहिए की सभी ड्रिप के छिद्रों द्वारा पानी एक सामान आ रहा है या नहीं ,उसके बाद सभी बेड के ऊपर मल्चिंग पेपर बिछा देना चाहिए और मल्चिंग पेपर को दोनों किनारों को मिट्टी की सहायता से अच्छे टाइट कर के दबा देना चाहिए।
तरबूज की खेती में 20 माइक्रोन के मल्चिंग पेपर का उपयोग कर सकते हैं लेकिन अगर उसी खेत में दुबारा फसल लेनी हो तो 25 माइक्रोन का मल्चिंग पेपर उपयोग में लाना चाहिए । याद रहे मल्चिंग पेपर टाइट होना चाहिए। उसके बाद मल्चिंग पेपर में छेद करना चाहिए। तरबूज के बीजों की बुआई से पहले 3 से 4 घंटा ड्रिप चला देना चाहिए यह प्रक्रिया 2 दिन के अंतराल पर  दोहराना चाहिए जिससे की उवर्रकों की गर्मी बेड से निकल जाए उसके बाद तरबूज के बीजों की बुआई कर देनी चाहिए बुआई के बाद हलकी सिंचाई कर देनी चाहिए।तरबूज के बीजों की बुवाई 1.25 से 1.5 फीट की दुरी में किया जाना चाहिए। आप चाहे तो स्वयं तरबूज की नर्सरी बना कर अथवा नर्सरी से  तरबूज के पौधे खरीद कर भी तरबूज के पौधों की रोपाई कर सकते हैं।

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सामान्यता तरबूज के बीजों का अंकुरण होने के लिए तापमान 18॰ से 25॰ होना चाहिए। तापमान कम होने की वजह से अंकुरण में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है।

तरबूज की फसल को हम देखें तो यह गर्मियों में 60 से 90 दिनों में पक कर तैयार हो जाती हैं, एवं सर्दियों में 110 से 120 दिनों में तैयार होती है,तरबूज की परिपक्वता मुख्य रूप से आपके तरबूज के बीज के चयन और मौसम के ऊपर निर्भर करता है। यह देखा गया है कुछ तरबूज की किस्म 60 दिनों में ही पक कर तैयार होती है एवं कुछ उससे ज्यादा का समय लेती है।

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तरबूज की खेती में रोग एवं फंगस और उनका समाधान

जब आप तरबूज के बीज की बुआई कर चुके होते हैं तो लगभग 6 से 7 दिनों में अंकुरण हो जाता है। जब तरबूज का पौधा दो पत्तियों का होता है लगभग अंकुरण से 8 दिन के बाद तो उसमे रस चूसने वाले कीटों एवं पत्तों को चबाने वाले कीटों का आक्रमण देखने को मिल सकता है,वैसे स्थिति में  imidacloprid 17.8% का प्रति 0.5 ml से 1 ml प्रति लीटर एवं ridomil gold1 gm पानी में मिलाकार छिड़काव करना चाहिए। इससे तरबूज के पौधे कीट पतंगों रस चूसने वाले कीड़ों एवं फंगस से सुरक्षित हो जाते है।

अंकुरण से 15 दिन की अवस्था में  Thiamethoxam 25 % WG 5 gm प्रति 15 लीटर पानी में  एवं Saaf Fungiside जिसमे CARBENDAZIM 12% + MANCOZEB 63% WP 1 gm प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करना चाहिए। तरबूज की 25 दिन की अवस्था में Sagrika 2 ml एवं Neem oil 1 ml प्रति लीटर पानी में मिला कर स्प्रे करना चाहिए ,तरबूज की 35 दिन की अवस्था में जब फूल आने लगे तो मैक्रोनुट्रिएंट का स्प्रे करना चाहिए एवं फूल जैसे ही दिखना शुरू हो जाए तुरंत अपने तरबूज के खेत में फ्रूट फ्लाई ट्रैप लगाना चाहिए यह बहुत महतवपूर्ण कार्य है क्योकि इसी कार्य पर आपका उत्पादन निर्भर करेगा। फ्रूट फ्लाई के वजह से तरबूज में काफी नुकसान देखने को मिलता है इसलिए कम से कम 10 फ्रूट फ्लाई ट्रैप प्रति एकड़ लकड़ी की सहायता से बेड से  1.5 से 2 फीट की ऊंचाई पे लगाना चाहिए।

जैसे ही तरबूज में फल बनना यानी कैप्सूल की साइज तरबूज की दिखने लगे तब Solomon insecticide जिसमे Beta-Cyfluthrin + Imidacloprid 300 OD (8.49 + 19.81 % w/w) 15 लीटर पानी में 7 से 8 ml एवं Antracol जिसमे Propineb 70% WP होता है 1 से 1.5 gm प्रति लीटर पानी में मिलाकार स्प्रे करना चाहिए ध्यान रहे सभी प्रकार के स्प्रे आप शाम के समय करें और खास कर के यह स्प्रे हल्का अँधेरा होने पर करें क्युकी उस समय मधुमखियां आपके खेत से अपने घर जा चुकी होती है मधुमखियों का आपके खेत में होना किसी भी खेती के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जितनी ज्यादा मधुमखियां आपके खेत में होंगी उतने ज्यादा अच्छी फल सेटिंग आपको तरबूज या किसी अन्य खेती में देखने को मिलती है इसलिए यह स्प्रे हल्का अँधेरा होने पर ही करे।

तरबूज की 45 दिन की अवस्था में DAMMAN BIO-R303 का स्प्रे प्रति 20 ml प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकार करें, इससे सभी प्रकार के किट पतंगों एवं फंगस जनित रोगों से बचाओ मिलेगा तथा यह पौधो में बढ़ोतरी एवं टॉनिक का काम करता है। तरबूज में 55 दिन कि अवस्था  में Emamectin benzoate 5% SG  0.5 gm प्रति लीटर पानी में एवं Aliette fungicide 1 gm प्रति लीटर पानी में मिला कर स्प्रे करना चाहिए। इस प्रकार से आप सफलतापूर्वक तरबूज की खेती कर सकते हैं।

तरबूज में घुलनशील खाद,पानी प्रबंधन एवं अन्य जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

 

(Disclaimer) चेतावनी:- किसी भी प्रकार के खाद,दवा एवं स्प्रे का प्रयोग करने से पहले अपने फसल की अवस्था को समझ कर कृषि वैज्ञानिक एवं अग्रोनॉमिस्ट के सलाह से करें। इसमें बताये लेख में लेखक ने अपने क्षेत्र एवं अपनी फसल अवस्था के अनुसार कार्य किया है। किसी भी प्रकार की लाभ एवं हानि से लेखक का कोई सरोकार नहीं रहेगा।

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