बकरी पालन का इतिहास
विश्व में बकरी का इतिहास सदियों पुराना है। सबसे पहले इंसानो द्वारा पाले जाने वाले पालतू जानवर में पहला स्थान बकरी को प्राप्त है। भारत में “बकरी पालन” अन्य देशों की तुलना में अपना एक अलग महत्व रखता है। महात्मा गाँधी ने बकरी को गरीबों की गाय की संज्ञा से सम्बोधित किया था।
वर्त्तमान स्थिति में अगर हम देखें तो बकरी पालन गरीबों की गाय कही जाने वाली कथन अब गरीबों, कृषकों एवं मध्यम वर्गीय परिवारों तक ही सीमित नहीं है,बकरी पालन अब अमीरों का एटीएम भी बन चूका है। पिछले 1-2 दशकों में देखा गया है की इसमें पढ़े लिखे युवाओं,उद्यमिओं एवं आर्थिक रूप से संपन्न लोगों का भी काफी रुझान देखने को मिला है। इस क्षेत्र की सफलता को देखते हुए लोग बकरी पालन व्यवसाय के प्रति अग्रसर होते जा रहें हैं। इस लेख में हम बकरियों से जुड़े सभी तथ्यों को विस्तार पूर्वक जानने का प्रयास करेंगे।
बकरी की नस्लें एवं महत्वपूर्ण आंकड़े। बकरी पालन कैसे करें ?
विश्व में बकरियों की सैकड़ों से अधिक प्रजातियां पायी जाती हैं। भारत में आधिकारिक रूप से सभी राज्यों एवं प्रदशों की बात करें तो वर्त्तमान सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में 34 प्रकार की बकरियों की नस्लों को शामिल किया गया है। बकरियों की संख्या की तरफ देखें तो भारत में 135 मिलियन ( साढ़े तेरह करोड़ ) विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त है।
-
बकरी मांस उत्पादन में –905 हजार टन – विश्व में प्रथम
-
दुग्ध उत्पादन – 149 हजार टन
-
खाद्य योग्य मांस भार- 10 कि ग्रा.
-
राष्टीय आय में योगदान – 7,40,000 करोड़।
कौन सी नस्ल एवं कितने बकरी से बकरी पालन शुरू करना चाहिए।
जैसा की आपने ऊपर पढ़ा होगा भारत में विभिन्न प्रकार की बकरी की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। यह सवाल बहुत जटिल है की नए बकरी पालक एवं उद्यमी किस बकरी की प्रजाति से अपना बकरी पालन व्यवसाय शुरू करें ? इस लेख में हम यह मान कर चलते हैं की व्यावसायिक एवं पैसे कमाने के उद्देश्य से हमें किस प्रजाति की नस्लों की बकरियों का चयन एवं कितनी बकरियों से शुरुवात करना हमारे लिए सही रहेगा।
सबसे पहले हमें यह देखना चाहिए की हमारे आस पास के क्षेत्र में कौन सी बकरियों की संख्या एवं कौन सी बकरी बहुतायत मात्रा में देखने को मिलती है। भारत में विभिन प्रकार की प्रमुख नस्ल की बकरियाँ जैसे:- बरबरी, सिरोही, जखराना, जमुनापारी, बीटल, ब्लैक बंगाल,ओस्मानाबादी, मालाबारी इत्यादि अन्य प्रकार की बकरियों में से जो आपके क्षेत्र अथवा प्रान्त में पायी जाती है आपको उसी बकरी से बकरी पालन की शुरुवात करनी चाहिए। क्यूंकि आपके आस-पास के क्षेत्रीय वातावरण की परिस्थिति आपके बकरी पालन व्यवसाय की सफलता की प्रमुख कड़ी साबित हो सकती है।
यह कहना गलत नहीं होगा की लोगों द्वारा सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवालों में से एक सवाल यह है की कितने बकरी से बकरी पालन शुरू करें ? चूँकि हम सभी जानते हैं भारत में विभिन्न क्षेत्रों व राज्यों के अनुसार सभी लोगों की आर्थिक स्थिति एवं मनोदशा अलग-अलग है कोई आर्थिक रूप से संम्पन है तो कोई आर्थिक रूप से निर्बल,असमानताओं के परिवेश में किसी के लिए भी एक सटीक उत्तर दे पाना कठिन है। लेकिन हम यह मान कर चलते हैं की आपको बकरी पालन की जानकारी नहीं है, या आपने थोड़ी-बहुत जानकारी इधर-उधर से हासिल की है, इसलिए आपको शुरुवाती चरण में 10+1( दस बकरी एवं एक बकरा ) से बकरी पालन शुरु करनी चाहिए।अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं तो आप इससे कम में भी शुरुवात कर सकते हैं। लेकिन जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं वे चाहे तो 20+2(बीस बकरी एवं दो बकरा ) से भी शुरू कर सकते हैं।
इस क्षेत्र में नए युवा एवं उद्यमी जिनके पास पूंजी की कमी नहीं हैं और वे सोचते हैं की वे 50 अथवा 100 बकरियों से बकरी पालन की इसकी शुरुवात कर सकते हैं लेकिन उनका ये मानना उनकी सफलता में रोड़ा बन सकता है वो इसलिए क्यूंकि वे इस क्षेत्र में बिलकुल नए होते हैं, सिर्फ शेड बना कर 50-100 बकरियों को हम शेड में रखकर हम बकरी पालन में सफलता हासिल नहीं कर सकते हैं। इस व्यवसाय में हमें समय के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता हैं। और यकीन मानिये जो इंसान इस प्रकार से धीरे-धीरे बकरी पालन व्यवसाय के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा और वह सभी प्रकार के चुनौतियों का सामना करेगा उसे कभी भी असफलता का सामना नहीं करना पड़ेगा। और यह फैसला उनके लिए मील का पत्थर साबित होगा।
इसे भी पढ़ें,तरबूज की खेती कैसे करें ?
बकरी के चुनाव हेतु आवश्यक बातें।
हमेशा बकरी पालकों को यह सलाह दी जाती है की, जब भी बकरी खरीदें चाहे वह किसी भी नस्ल की हो या आप पालने हेतु जिस बकरी प्रजाति का चयन करते हैं वह शुद्ध नस्ल की हों, कोशिश यह किया जाना चाहिए की बकरी हमेशा किसानों अथवा बकरी पालन कर रहे किसी अच्छे बकरी फार्म से खरीदें। अगर आप किसी बकरी फार्म से बकरी खरीदते हैं तो आपको उस बकरी की शुद्ध नस्ल की जानकारी एवं उसके पूर्वजों की जानकारी और उस बकरी को दिए गए सभी टीकाकरण से सम्बंधित सभी रिकॉर्ड व आंकड़े मौजूदा बकरी फार्म से आपको मिल सकते है। और यदि आप किसी किसान से या अपने आस पास के क्षेत्र से बकरी खरीदते हैं, तो सबसे पहले खरीदी हुई सभी बकरियों का टीकाकरण आवश्यक रूप से कर देना चाहिए। बकरी खरीदते समय हमेशा यह ध्यान देना चाहिए की बकरी बिलकुल स्वस्थ हो। आपको बारीकी से बकरी के स्वास्थ्य को देखना चाहिए, वो कैसे आइये जानते हैं।
बकरी के स्वास्थ्य की जाँच कैसे करें ?
बकरी पालन हेतु हमेशा चंचल प्रवृति की बकरी को खरीदने का प्रयास करे, बकरी हष्ट-पुष्ट हो लम्बाई एवं ऊंचाई अच्छी होनी चाहिए बकरी के बाल चमकदार हों, उसमे किसी प्रकार का रूखापन नहीं होना चाहिए। उसके त्वचा का आंकलन अच्छे से किया जाना चाहिए। किसी प्रकार के घाव या फफुंद जैसी समस्या बकरी के त्वचा में मौजूद ना हो। उसके खुर में किसी प्रकार की समस्या ना हो, मुँह-नाक में किसी प्रकार के घाव या झाग जैसी समस्या ना हो, बकरी के थन सामान आकर के हो, एवं मल द्वार गीला अथवा दस्त की समस्या ना हो। इन सभी बातों को धयान में रखकर आप स्वस्थ नस्ल की बकरी खरीद सकते हैं।
मादा मेमनो का चुनाव कैसे करे।
हमेशा 3 माह की आयु से ज्यादा उम्र के मेमनो का चुनाव करना चाहिए। कम उम्र के मेमनो का चुनाव इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि वे आस पास के वातावरण में व्यवस्थित होने में ज्यादा समय लेते हैं,और छोटे मेमनो में जगह परिवर्तन होने की वजह से अत्यधिक मृत्यु दर देखने को मिलती है।
मादा मेमने खरीदते समय यह ध्यान देना चाहिए की उसकी माँ अधिक दूध देने वाली होनी चाहिए एवं शरीर चुस्त, लम्बाई और ऊंचाई अच्छी हो, जिससे उसके बच्चों की नस्ल पे भी अच्छा प्रभाव पड़े।
बीजू ( नर ) बकरे का चयन कैसे करें।
-
आप जिस बीजू ( नर ) बकरे का चयन करते हैं,यह संतुष्ट हो लें की वह शुद्ध नस्ल का हो एवं अपनी नस्ल के अनुरूप लम्बाई-चौड़ाई और ऊंचाई का हो। कोशिश यह करें की जिस बीजू बकरे का आप चुनाव कर रहें हैं वह जुड़वा के रूप में पैदा लिया हो,एवं उसकी माँ सामान्य से अधिक दूध देने वाली प्रवृति की हो।
-
बीजू बकरा बिलकुल स्वस्थ हो एवं चुस्त प्रवृति का हो और उसके अंडकोष एक सामान आकर एवं विकसित होने चाहिए।
-
ज्यादा मोटा या अत्यधिक वसा ग्रहण किया हुआ बीजू बकरा का चुनाव ना करे।
-
बकरे को बकरी से मिलन करने पर 90 % से अधिक बकरियों को गर्भित करता हो एवं मिलन करने की जिज्ञासा होना चाहिए। एक दिन में नर बकरे द्वारा 2 बार ही मिलन करवाना चाहिए,और दोनों बार की प्रक्रिया के बीच लगभग 4 घंटो का अंतराल रखना चाहिए।
बकरियों के लिए चारा एवं उत्तम पोषण प्रबंधन।
-
बकरियों के सर्वांगीण विकास में चारा एवं सूखे चारे की अहम् भूमिका है। सबसे पहले हम बात करते हैं हरे चारे की, हरे चारे में हरी घांस, नेपियर, हरी पत्तियां, नीम, बैर, मोरिंगा (मुनगा), पीपल, बरसीम दे सकते हैं।
-
कभी भी बकरी को गीला चारा नहीं देना चाहिए, कहने का तात्पर्य यह है की पत्तियां हो या घास भीगी हुई या उनमे ज्यादा नमी की मात्रा नहीं होनी चाहिए।
-
गर्भवती एवं दूध देने वाली बकरियों को अलग से लगभग 200-300 ग्राम अनाज प्रतिदिन देना चाहिए।
-
कभी भी बकरियों के आहार में अचानक से बदलाव नहीं करना चाहिए। अगर बदलाव करना हो, तो धीरे-धीरे करे 7-8 दिनों के अंतराल पे चारे को बदलना चाहिए।
-
मेमनो के जन्म के उपरांत आधे घंटे के अंदर खीस पिलाना चाहिए। (बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद निकलने वाले बकरी के दूध को खीस कहा जाता है। ) दिन भर में 4-5 बार एक निश्चित अंतराल एवं एक निश्चित मात्रा में ही पिलाना चाहिए।
आवास प्रबंधन
-
पशुपालन में आवास प्रबंधन एक महत्वपूर्ण विषय है। पशुओं को खुली जगह के साथ-साथ, सूर्य के प्रकाश एवं हवा की जरुरत होती है, इसलिए इन सब मूलभूत सुविधाओं के देखते हुए पशुओं के आवास को बनाना चाहिए।
-
बकरियों के निवास स्थान हमेशा साफ एवं स्वच्छ रखने का प्रयास किया जाना चाहिए।
-
बकरियों के आवास के फर्श को कच्चा ही रहने देना चाहिए,और बरसात से एक महीने पूर्व व एक महीने के बाद फर्श की ऊपरी सतह की 4 से 5 इंच मिटटी को बदल देना चाहिए।
-
छोटे बच्चों के लिए फर्श पर धान का पुवाल या घास बिछा देना चाहिए और समय अनुसार और वर्त्तमान परिस्थिति को देखते हुए बदलते रहना चाहिए। छोटे मेमनो को कभी भी बड़ी बकरी अथवा बकरो के साथ नहीं रखना चाहिए।
-
प्रजनक ( बीजू बकरा ) को हमेशा अलग रखना चाहिए।
-
छोटे मेमनो, यौनावस्था प्राप्त बकरियां, गर्भ धारण कर चुकी बकरियां, एवं नर (बीजू बकरे) को अलग-अलग वर्गीकृत कर के रखना चाहिए।
-
अगर कोई भी बकरा या बकरी बीमार हो तो उसके रहने के लिए अलग से व्यवस्था करनी चाहिए, बीमारी ठीक होने के उपरांत उसे बाड़े में सभी के साथ रखा जा सकता है, इससे आपके बाकी बकरियों में बीमारी या किसी अन्य प्रकार के संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहेगा।
शेड निर्माण
-
भारत की जलवायु पूरब से पश्चिम दिशा वाले फार्म के लिए अनुकूल होती है,क्योकि गर्मी में सूर्य के प्रकाश को फार्म के अंदर आने से रोका जा सकता है एवं ठण्ड के मौसम में धुप का लाभ मिलता है। इसलिए सही दिशा पूरब से पश्चिम दिशा है। शेड में पूरब एवं पश्चिम की दीवार ऊपर तक होनी चाहिए एवं ऊंचाई 12 से 13फीट एवं चौड़ाई 20 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए, लम्बाई आप अपनी आवश्यकता अनुसार रख सकते हैं। शेड के उत्तर एवं दक्षिण दिशा की तरफ की नीचे की दीवार को 1 मीटर और उसके ऊपर बाकी बची ऊंचाई तक लोहे की जाली लगा सकते हैं।
-
बकरी फार्म के फर्श को मिट्टी का ही रहने देना चाहिए, क्योंकि मिट्टी मौसम परिवर्तन होने पर ऊष्मा अवरोधक के साथ-साथ बकरियों के पेशाब सोखने की क्षमता रखता है एवं उनके लिए मिट्टी में चलना, पक्के फर्श में चलने की तुलना में अधिक आरामदायक होता है।
-
शेड के अंदर की 4-5 इंच की मिट्टी को वर्ष में कम से कम एक बार बदलना अनिवार्य होता है,आप बेहतर व्यवस्था बनाये रखने के लिए समय -समय पर मिट्टी की गुड़ाई भी कर सकते है।
-
आप जितने बड़े शेड का निर्माण करते हैं उससे दो तिहाई बड़ा एवं खुला हिस्सा शेड के बहार एवं सटा हुआ होना चाहिए। आपको आपके खुले हिस्से के चारों और छायादार पेड़ पौधे एवं खुले हिस्से को 5 फीट ऊँची लोहे की जाली की सहायता से घेराव कर देना चाहिए। यह खुला हिस्सा बकरियों के आराम, व्यायाम एवं उनके मानसिक एवं शारिरीक थकान को दूर करने के लिए जरुरी होता है।
बकरियों की स्वास्थ्य व्यवस्था एवं टीकाकरण।
स्वास्थ्य व्यवस्था बनाये रखने के लिए प्रतिदिन बकरी आवास की साफ-सफाई किया जाना चाहिए। एवं कुछ दिनों के अंतराल में चुने का छिड़काव अवश्य किया जाना चाहिए। बीमार बकरियों के लिए अलग से रहने का प्रबंध करना चाहिए। बार-बार दस्त से ग्रसित बकरियों एवं छोटे बच्चों का मल परीक्षण अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय में कराना चाहिए। समयानुसार एवं आयु के अनुसार बाड़े की सभी बकरियों का टीकाकरण अवश्य करना चाहिए। बकरियों में विभिन्न टीकाकरण एवं समय सारणी को नीचे दिए गए टीकाकरण कैलेंडर सूची के माध्यम से दर्शाया गया है, इससे आपको बकरियों में लगने वाले टीकाकरण को समझने में आसानी होगी।
बकरी उत्पाद एवं बाजार प्रबंधन
बकरी पालन व्यवसाय से हमें उच्य गुणवत्ता से भरपूर दूध की प्राप्ति होती है, जो छोटे बच्चो एवं वृद्ध लोगों के लिए काफी लाभदायक होता है। दूध के अलावा दही, पनीर, खोवा, घी इत्यादि बनाया जा सकता है, एवं अच्छे मूल्यों में बेचा जा सकता है। बकरी के बाजार एवं खरीद बिक्री की बात करें तो सालों भर इसके लिए बाजार उपलब्ध हैं लेकिन बकरी से अच्छा भाव एवं आर्थिक रूप से संपन्न होने के लिए एक तय समय में पशुओं को बेचें जैसे की ईद, होली, दुर्गा पूजा एवं अपने क्षेत्रीय त्योहारों में जब इनकी डिमांड सबसे अधिक बनी रहती है एवं बाजार भाव भी अधिक मिलता है। जानवरों को मांस के लिए उसके शारीरिक वजन के हिसाब से बेचें। इस बात का खास ख्याल पशुपालकों को रखना चाहिए, की कभी भी अपने पशुओं को बिचौलियों के पास या उन्हें बेचने के लिए नहीं देना चाहिए। आपके पास सामान्यता 2 या उससे अधिक बच्चे एक साथ देने वाली एवं अधिक दूध देने वाली बकरी को नहीं बेचना चाहिए। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर अधिक बाजार मूल्य लिया जा सकता है।
इच्छुक अभ्यर्थी एवं उध्यमी बकरी पालन प्रशिक्षण कहां से प्राप्त करें ?
बकरी पालन प्रशिक्षण के लिए अभ्यर्थी अपने नजदीकी पशुपालन विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र, ब्लॉक अथवा पंचायत स्तरीय में आयोजित होने वाले प्रशिक्षण शिविर में सम्मिलित होकर अथवा भा.कृ.अ.प – केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मखदूम, फरह, मथुरा -281122 (उ. प्र. ) भारत । वेबसाइट :- cirg.res.in पे संपर्क कर के प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते है।
(Disclaimer) चेतावनी:- पशुओं को किसी भी प्रकार के दवाई या टीकाकरण देने से पहले प्रमाणित पशु चिकित्सक अथवा अपने नजदीकी पशु चिकत्सालय में अवश्य संपर्क कर ले। किसी भी प्रकार की जान-माल की हानि या लाभ से वेबसाइट,लेख एवं लेखक का कोई सरोकार नहीं रहेगा।
4 thoughts on “बकरी पालन Goat Farming in 2023”